चंद्रपुर के सैनिक स्कूल की घटना, शिक्षक दिवस से पहले 52 छात्रों को स्कूल से निकाला गया.
चंद्रपुर के सैनिक स्कूल की घटना, शिक्षक दिवस से पहले 52 छात्रों को स्कूल से निकाला गया.
चंद्रपूर:- मंगलवार को जहां पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है, वहीं एक घटना सामने आई है कि चंद्रपुर के सैनिक स्कूल प्रशासन ने बीते दिन पिछड़े वर्ग के 52 छात्रों को स्कूल से निकाल दिया. बताया जाता है कि छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिलने के कारण हि यह कार्रवाई की गयी है..
वर्ष 2019 में, राज्य सरकार के मंत्रियों की कैबिनेट ने अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए एक छात्रवृत्ति योजना शुरू करने का निर्णय लिया था जो की चंद्रपुर में सरकारी सैनिक स्कूल में प्रवेश लेना चाहते हैं। हालांकि, सरकार ने इस फैसले को लागू करने को लेकर कोई सर्कुलर जारी नहीं किया था. इस बीच, चंद्रपुर के सामाजिक न्याय विभाग के सहायक आयुक्त ने सैनिक स्कूल को पात्र छात्रों को प्रवेश देने और ट्यूशन फीस नहीं लेने का निर्देश दिया था..
निर्देशित पत्र में कहा गया है कि सरकारी निर्णय जारी करने की प्रक्रिया चल रही है और सर्कुलर आने के बाद छात्रों की छात्रवृत्ति का भुगतान कर दिया इसी आधार पर विद्यार्थियों को कक्षा पांच से आगे विद्यालय में प्रवेश दिया जाता था। दूसरे बैच में भी 27 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। ये सभी छात्र अब आठवीं और नौवीं कक्षा में पहुंच गए हैं.
हालांकि, चार साल बाद भी सरकार ने फैसले का जीआर जारी नहीं किया, जिससे स्कूल को छात्रों की छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई. आख़िरकार, 4 सितंबर को स्कूल ने सभी 52 प्रवेशित छात्रों को कक्षा में बैठने से मना कर दिया और उन्हें छात्रावास में रहने के लिए कहा। उनके अभिभावकों को बुलाकर बच्चों को हॉस्टल से ले जाने को कहा गया. इससे विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में असंतोष एवं अवसाद फैल गया है.
इस संबंध में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर नॅशनल फोंडेशन सिद्धांत भरणे ने कहा, सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिया था कि स्कूल बच्चों पर फीस देने के लिए दबाव न डालें और स्कॉलरशिप मिलने तक बच्चों की पढ़ाई को नुकसान न पहुंचाएं. लेकिन स्कूल ने सरकार के पत्र को खारिज कर दिया. इससे बच्चों की शैक्षणिक क्षति हो रही है और बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी मानसिक रूप से परेशानी हो रही है.
उन्होंने चंद्रपुर के कलेक्टर, जिला परिषद के सीईओ और शिक्षा अधिकारियों को एक बयान देकर मांग की है कि वे इस कार्रवाई को रोकें और बच्चों को नियमित स्कूलों में प्रवेश देकर शैक्षणिक नुकसान को रोकें।
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